मेरे पिता मेरे आदर्श: डा रंजू
कठिन से कठिन मार्ग पर धैर्य के साथ चलना पिता से सिखा था: डा रंजू
बेटा बेटी एक समान पिता से सीख मिली: डा रंजू
सीतामढ़ी।
पूर्व मंत्री डा रंजू गीता ने अपने पिता के चौथी पुण्य तिथि पर श्रदा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि मेरे पिता मेरे आदर्श हैं। उनके सिखाये और बताये मार्ग पर चल रही हूं। कठिन से कठिन मार्ग पर धैर्य के साथ चलना, उसे सुगम और सरल बना लेने की अदभुत कला पिता जी से सिखी। आज मैं जो कुछ भी हूं, उसमें उनका योगदान है। उनकी कमी खलती है और खलती रहेगी।
संघर्ष भरे जीवन के रास्ते पर चलने का जो रास्ता उन्होंने दिखाया, आज उसी रास्ते पर चल रही हूं। उन्होंने सच्चाई का पाठ पढ़ाया और झूठ, फरेब को बूरा माना आज मैं भी पिता के दिखाये सच्चाई के मार्ग पर चल रही हूं और झूठ से नफरत करती हूं। डा रंजू ने कहा कि वह अपने तीन बहन एक भाई में सबसे छोटी है। बचपन की याद को सांझा करते हुए बताया कि मेरे पिता के जीवन में बेटा बेटी का फर्क नही दिखा। सबको एक समान मानते थे, बल्कि मुझे रंजू न राजू से ही पुकारते थे। वेश भूषा एवं पहनावे में भी कोई अंतर नही रखा। बेटे बेटी को एक समान समानता का दर्जा देने का सीख भी पिता जी से मिला। कोई कुछ मांगने आ जाता पिता जी उसके दे देते अपने पास नही बचेगा, इसकी कभी परवाह नही की। समाज के हर तबके को एक समान देखना एवं सहयोग करना मैंने उनसे ही सिखा।
उनके विचार एवं स्वभाव से हमेशा प्रेरित रही। डा रंजू ने भावुक होते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन को अपनी जीवन का धरोहर समझा।
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