( प्राइम न्यूज़ रिपोर्टर ) सोनबरसा प्रखंड के दोस्तियां व जयनगर पंचायत के सैकड़ों रैयतों की कुल 253.09 एकड़ उपजाऊ जमीन के प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र विकास परियोजना हेतु भूमि अधिग्रहण के जन सुनवाई कार्यक्रम प्रखण्ड मुख्यालय स्थित सभागार कक्ष में सम्पन्न हो गई.विभाग द्वारा निर्धारित समय सीमा से पूर्व सैकड़ों की संख्या में किसानों ने प्रखंड परिसर में जमकर बवाल काटा.सूचना पर विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर सभी किसानों को शांति पूर्वक सभाकक्ष में सामाजिक प्रभाव आकलन टीम के आने तक बिठाया गया.

कार्यक्रम में सिआईएमपी के प्रोफेसर कल्याण अग्रवाल, राजस्व अधिकारी ज्योति कुमारी,सम्बंधित पंचायतों के राजस्व कर्मचारी पंचायत के मुखिया देवेंद्र राम सहित दोस्तियां व जयनगर पंचायत के सैकड़ों महिला व पुरूष किसान उपस्थित हुए जिसमे बताया गया है राज्य सरकार ने इस परियोजना से प्रभावित रैयतों पर पड़ने वाली विभिन्न प्रकार के कठिनाइयों के आकलन का जिम्मा चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान पटना को सौंपा गया है.संस्थान रैयतों एवं सरकार के बीच की कड़ी हैं.बताया गया की प्रारंभिक रिपोर्ट में जो डेटा मिला है उसे रैयतों से प्रश्नावली के आधार पर तैयार किया गया है.सामाजिक प्रभावों के आकलन में टीम ने पाया कि इसमें मंदिर,मकान,व्यवसायिक संरचना, बोरिंग,हैण्ड पंप ,पेड़,कई बगीचा समेत कई पहुंच मार्ग के नुकसान होने की संभावना है.किसानों को बताया गया है यह ड्राफ्ट रिपोर्ट है इस जन सुनवाई में आपलोगों के द्वारा जो प्रतिक्रिया होगी उसे सरकार को सौपेंगे.सुनवाई के दौरान दोस्तियां टोला निवासी नरेश महतो ने कहा कि जो जमीन हमारी अधिग्रहण की जाएगी

उसका मुआवजा लेकर हमलोग कंहा जाएंगे.सेवानिवृत शिक्षक राम प्रताप महतो ने बताया कि खेतीबाड़ी के अलावा हमलोगों के आमदनी का कोई श्रोत नहीं हैं.इंदल महतो ने बताया कि मेरे पास 15 कट्ठा जमीन है.इससे हमारे परिवार का भरण-पोषण ,बच्चों के पढ़ाई आदि जरूरतें पूरी होती हैं.हमारी जमीन वैसी उपजाऊ जमीन हैं जिसमे साल में हमे तीन बार फसल मिलती हैं.पूर्व शिक्षक अरुणेंद्र प्रसाद ने बताया कि महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत कृषि प्रधान देश है और भारत की आत्मा गांवों में बसती है .सरकार हमसे हमारी गांव ना छीने.इस प्रस्तावित उद्योग से एक-दो प्रतिशत को लाभ हो सकता हैं परंतु 99 प्रतिशत किसानों की प्रथम श्रेणी के धनहर उपजाऊ जमीन छीन जाएगी.उन्होंने कहा कि गांव के स्वरूप को उद्योग के रूप में प्रस्तुत कर बिगाड़े नहीं.इस दौरान सुरेंद्र पासवान, रामनारायण महतो,अमरनाथ यादव, गणेश राय,प्रोफेसर रामकलेवर यादव,महेंद्र कुमार दास,नागेन्द्र राय,मिथलेश राय,राजेन्द्र साह विमल चन्द्र झा,ताराकांत झा,आलोक पासवान,वीर बहादुर राय,सुरेश राय,राम चन्द्र महतो राम एकवाल महतो सहित सैकड़ों किसान मौजुद थे।
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