सभी शिक्षण संस्थानों, राजनैतिक दलों, सामाजिक संगठनों एवं सभी इंसाफपसंद लोगों से विनम्र अपील। -------------------------------
आजादी के 75 वीं वर्षगांठ पर पुरे देश में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। बंगाल से विभाजन के बाद आजादी की लङाई में फांसी को गले लगाने वाले (1912-1947)अखंड बिहार का फासी पर चढ़ने वाला अमर शहीद रामफल मंडल, जुब्बा सहनी एवं बैकुंठ शुक्ला है।
( प्रथम व द्वितीय सत्र में एडमिशन जारी है । जल्द करें सीटें सीमित हैं)
शहीद रामफल मंडल, बिहार, सीतामढ़ी के बाजपट्टी के मधुरापुर गांव के निवासी थे। जिन्होंने 24 अगस्त 1942 ई को तत्कालीन अंग्रेजी सरकार के एसडीओ एवं पुलिसकर्मी को फरसा से गर्दन काटकर आजादी का रास्ता प्रशस्त किया था।जिस आरोप में 23 अगस्त 1943 ई को भागलपुर सेन्ट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया गया। इसी तरह जुब्बा सहनी और बैकुंठ शुक्ला को भी फांसी पर लटका दिया गया था।
शिक्षा विभाग, सीतामढ़ी, बिहार द्वारा सभी शिक्षक संगठनों के प्रस्ताव पर शहीद रामफल मंडल के शहादत दिवस के सम्मान में 23 अगस्त को विद्यालयों में शौर्य दिवस मनाने हेतु अवकाश तालिका में शून्य अवकाश घोषित करते हुए, कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया है।
इस संदर्भ में निवेदन है कि, आजादी की लङाई में सीतामढ़ी जिले के अंग्रेजी पुलिस की गोली से शहीद हुए अन्य गुमनाम शहीदों जानकी सिंह,प्रदीप सिंह,भदई कबाङी, महावीर गोप,रामबुझावन ठाकुर, सहदेव साह,गंभीरा राय, रायचरण मंडल, राम लखन गुप्ता, जयसुन्दर खतवे, मौजें झा,सुन्दर महरा,ननू मियां, मथुरा मंडल, वंशी ततमा,सुखन लोहार,गुगुल धोबी,छठू कानू,परसत तेली, बलदेव सुढी,बुधन कहार, बंगाली नूनिया,बुझावन चमार,सूरज पासवान,नौजाद सिंह,भूपन सिंह, सुखदेव सिंह,बिकन कुर्मी, सहित दर्जनों लोग शहीद हो गए। उनके सम्मान में सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों, सहित सभी नीजी शिक्षण संस्थानों,सभी राजनैतिक दलों, सामाजिक एवं स्वयंसेवी संगठनों एवं आम लोगों से अपील है कि,23 अगस्त को शौर्य दिवस के रूप में मनाकर छात्रों एवं आम लोगों के दिलों में शहीदों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए देशप्रेम की भावना को जगावे। शहीद रामफल मंडल के साथ जिले के अन्य शहीदों पर एक छोटा सा आलेख प्रस्तुत कर रहा हूं। आशा है कि ,इसका अध्ययन कर आम लोगों को शहीदों के बारे में जानकारी देंगे।
आपक साथी
बिनोद बिहारी मंडल
लेखक सह शोधकर्ता ।
0 Comments