Ticker

7/recent/ticker-posts

TOP

तपस्वी बाबा नारायण दास के 106 वीं जन्मतिथि पर 17 फरवरी को बगही धाम में यज्ञ कराने को लेकर भुतही क्षेत्र के राम नाम परिवार के बीच चर्चा

 तपस्वी बाबा नारायण दास के 106 वीं जन्मतिथि पर 17 फरवरी को बगही धाम में यज्ञ कराने को लेकर  भुतही क्षेत्र के राम नाम परिवार के बीच चर्चा




सोनबरसा: ( प्राइम रिपोर्टर)  आदर्श मध्य विद्यालय भुतही बाजार के सभागार में बुधवार को बगही धाम से आए श्री शुकदेवजी महाराज की उपस्थिति में एक बैठक आयोजित की गई।बगही सरकार तपस्वी बाबा नारायण दास के 106 वीं जन्मतिथि पर 17 फरवरी को बगही धाम में यज्ञ कराने को लेकर  भुतही क्षेत्र के राम नाम परिवार के बीच चर्चा की गई। जिसमे उपस्थित लोगों से संत शुकदेवजी महाराज ने कहा कि वातावरण शुद्ध और विचार शुद्धि के लिए यज्ञ जरूरी है। कोरोना काल के बाद  इसके लिए बैठक में उपस्थित लोगों द्वारा इस पर मंथन किया गया और और यज्ञ के लिए प्रचार सामग्री को जल्द से जल्द लगाने पर विचार दिया गया ।इस पर समाजसेवी उपेंद्र राय ने कहा कि इसका प्रचार प्रसार सीमावर्ती नेपाल के जिलों में भी किया जाए।इस अवसर पर श्री शुकदेवजी महाराज ने कहा कि जीवन संघर्ष में वही सफल होते हैं, परमार्थ की शिक्षा प्राप्त की हो।  



सुर नर मुनि सब कै यह रीती। स्वारथ लागि करहिं सब प्रीति अर्थात जगत् में श्री रामजी के समान हित करने वाला गुरु, पिता, माता, बंधु और स्वामी कोई नहीं है। देवता, मनुष्य और मुनि सबकी यह रीति है कि स्वार्थ के लिए ही सब प्रेम करते हैं।  स्वार्थ का अर्थ है स्व अर्थ  स्वयं का भला करना। स्वार्थ दो प्रकार का होता है पहला किसी को लाभ पहुँचाते हुए स्वार्थ की पूर्ती करना दूसरा किसी को हानि पहुँचाते हुए स्वार्थ की पूर्ती करना। इसमें प्रथम प्रकार का स्वार्थ उच्च कोटि का है जबकि दूसरे प्रकार का स्वार्थ निकृष्ट श्रेणी में आता है। जो अन्य को हानि पहुँचाकर अपना हित चाहता है वह मूर्ख अपने लिए दुःख के बीज बोता है। स्वार्थी सब हैं, यह मनुष्य का गुण है। बगही सरकार भी अपना जीवन संसार के परमार्थ में व्यतीत कर दिए।बगही धाम में वर्ष 1960 से ही अनवरत रामनाम संकीर्तन हो रहा है।वर्ष 1965 को बाबा ने बगही धाम में 108 झोपड़ी का मंडप बना कर विष्णु यज्ञ व महारूद्र यज्ञ किया था। उस दौरान  यज्ञ के छठे दिन यज्ञशाला अकस्मात  जल गई। एक साल बाद बाबा ने जन सहयोग से उसी स्थान पर 108 कमरों का चार मंजिला भवन बनवाया। जीवन के लिए खाना और सोना जरूरी है लेकिन जीवन पारमार्थिक कार्यों से सफल होता है। यह प्रेम हैं आपलोगों का की बगही धाम से यँहा खींचकर चले आए हैं।यह स्वार्थ से परे हैं इसमे मेरा स्वार्थ हो सकता हैं पर परमार्थ युक्त स्वार्थ ।दोनो के माध्यम से लोग अपना जीवन जीता हैं पर सबका पैमाना अलग-अलग है।यही ध्यान रखें कि मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए काम आए। अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन जीवन उसका सफल है जो दूसरों की भलाई करे।बैठक में बगही धाम के जीर्णोद्धार में सहयोग के लिए भुतही रामनाम संकीर्तन परिवार को बिहार में सिवान व मीरगंज के बाद स्थान होने पर महाराज ने आभार प्रकट किया।मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजकिशोर राउत, चंद्रमोहन कुमार ,जयनारायण महतो,मुखिया अखिलेश कुमार, अरुण कुमार,संजय पूर्वे,रामलगन प्रसाद,रमेश पूर्वे,विनोद राय समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे।



Post a Comment

0 Comments