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अखंड भारत की प्रथम मुस्लिम शिक्षिका ज्ञान ज्योति राष्ट्रमाता फातिमा शेख

 अखंड भारत की  प्रथम मुस्लिम  शिक्षिका  ज्ञान ज्योति राष्ट्रमाता  फातिमा शेख- 



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  आज दिनांक 09/01/2023   भारत  की द्वितीय महिला शिक्षिका और मुस्लिम समुदाय की प्रथम महिला शिक्षिका माता फातिमा शेख़ की 192 वीं जयंती है। उनका जन्म 9जनवरी1831  पुणे  में हुआ था। उनके भाई का नाम उस्मान शेख  था।

बात उन दिनों की है जब   फुले दंपति ने  महिला  के लिए  देश में प्रथम  विद्यालय  1848 में खोलें। उन दिनों  महिला और पिछड़े वर्गो को शिक्षा ग्रहण करने का  मनुस्मृति  के अनुसार था ही नहीं। फिर भी विपरीत परिस्थितियों में  महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी धर्मपत्नी  माता सावित्री बाई फुले ने  अपने घर में  लड़कियों  के शिक्षा ग्रहण करने हेतु  देश में प्रथम विद्यालय की स्थापना 1जनवरी 1848 को पुणे में खोलें।  

विद्यालय खुलते ही मनुवादियों   ने विरोध करना शुरू कर दिया और    ज्योतिबा फुले के पिता को  कहा की  आपका लड़का धर्म विरोधी  काम कर रहा है। धर्म के अनुसार  पिछड़े वर्गो को शिक्षा ग्रहण नही करना है।  मनुवादियों द्वारा  माना करने पर  महात्मा ज्योतिबा फुले  के पिता ने ज्योतिबा फुले को    कहा कि या तो स्कूल बंद करो अन्यथा अभी घर छोड़ो क्योंकि धर्मानुसार   तुमलोगों को  शिक्षा  नही देना है,यही धर्म कहता है।

दंपति  फुले ने घर  छोड़ कर  बाहर निकल गए। कहीं कोई पनाह नही था।

 "जाको राखे साइयां मार सके ना कोई" वाली कहावत चरितार्थ हुई और    वहीं के उस्मान शेख ने अपने घर में फुले दंपति  को आश्रय दिया साथ ही साथ  उस्मान शेख की बहन फातिमा शेख़ ने  अपने घर में आश्रय के  अलावे विद्यालय  भी खुलवा दी।

 माता फातिमा शेख़ को  भारत की दूसरी महिला शिक्षिका और मुस्लिम समुदाय की पहली महिला शिक्षिका  होने का गौरव प्राप्त है।

  महात्मा ज्योतिबा फुले   के पिता ने  उन्हें अंग्रेजी के मिशन  स्कूल  से शिक्षा  दिलाया था। वे अनुभवी थे।  

उन्होंने  सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख़ को   को प्रशिक्षण  दिलाया और उन दोनों को योग्य शिक्षिका  बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

 तत्कालीन अवधि में  फातिमा शेख़ और सावित्रीबाई फुले को लड़कियों का पढ़ाने में  ऊंची  जाति के लोगों द्वारा  अनेक  लांछन लगाए गए लेकिन वे अन्य मिशन से पीछे मुड़ मार नहीं देखीं। कारवां  बढ़ता गया  और कुछ दिनों के उपरांत जगह  जगह पर 18 लड़कियों का स्कूल   फुले दंपति और फातिमा शेख़ के सौजन्य  से खुले गए। फातिमा शेख़ के भाईजान  उस्मान शेख भी  उनके कार्य से प्रेरित थे। उस अवधि के  अभिलेखानुसार  उस्मान शेख ने  अपनी बहन फातिमा शेख़ को समाज में शिक्षा  का प्रसार  के लिए बहुत ही प्रोत्साहित किया था।

 भारत  के क्षितिज   पर जब    जब शिक्षा की बात की जाएगी तब  तब  ये  दैदीप्यमान  कोहिनूर हीरा   यानी  फातिमा शेख़ और  फुले दंपति  याद किए जायेंगे।  

 आश्चर्य  और दुःख  का विषय है कि  भारत ने क्यों ऐसे  ज्ञान  ज्योति के   अमरत्व  को  कैसे भुला दिया। शिक्षा विभाग केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से अनुरोध है कि इन्हें  पाठ्य पुस्तकों के  पाठ्यक्रम में इनके जीवनी, व्यक्तित्व और कृतित्व  को शामिल किया जाए जाए  आने वाली पीढ़ी अपने अनमोल  धरोहर  से रू ब रू  हो सके। 

 इनके  जयंती पर     पुष्प अर्पित करता हूंऔर हृदय से नमन करता हूँ🙏🙏

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