“इतिहास लिखने वाले अपने पैरों के छालों को भी नेमत-ए-उज़्मा समझते हैं” – जमील अख़्तर शफ़ीक़
सीतामढ़ी : सीतामढ़ी जिले के प्रतिभाशाली और अध्ययनशील युवा रियाज़ शफ़ीक़ ने यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) द्वारा आयोजित नेट (NET) परीक्षा में जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) हासिल कर के न सिर्फ अपने माता-पिता, बल्कि पूरे इलाके और जिले का नाम रौशन किया है। इस सफलता पर सामाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक हलकों से उन्हें बधाई देने का सिलसिला लगातार जारी है।
रियाज़ शफ़ीक़ का संबंध सीतामढ़ी ज़िले के बाजपट्टी ब्लॉक अंतर्गत संडवारा गाँव से है। इनका परिवार एक शिक्षित और साहित्यिक परिवेश रखने वाला परिवार है। इनके पिता मास्टर शफ़ीक़ साहब मिडिल स्कूल संडवारा में वरिष्ठ शिक्षक हैं, जबकि माता जी उर्दू स्कूल में शिक्षक (मअल्लिमा) हैं। इनके अन्य भाई-बहन भी शिक्षण के पेशे से जुड़े हुए हैं।
रियाज़ शफ़ीक़ की इस बड़ी सफलता पर उनके बड़े भाई, प्रसिद्ध शायर और अदीब जनाब जमील अख़्तर शफ़ीक़ ने फेसबुक पर अपनी खुशी साझा करते हुए लिखा:
"आज की सुबह एक अच्छी ख़बर के साथ शुरू हुई — पता चला कि मुझसे छोटे, मेरे चौथे भाई हाफ़िज़ रियाज़ अख़्तर शफ़ीक़ तैम़ी ने अलहम्दुलिल्लाह JRF-NET क्वालिफाई कर लिया है।"
उन्होंने आगे लिखा:
"पिछले कई वर्षों से वो मेहनत कर रहे थे। बीच में नाकामियाँ भी आईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। एक बड़े भाई की हैसियत से, अपनी आदत के मुताबिक, मैंने कभी उन्हें ऐसा कोई जुमला नहीं कहा जो दिल तोड़ने वाला हो। मुझे पक्का यकीन था कि अगर वो लगे रहे तो बेहतर से बेहतर कर सकते हैं। तजुर्बे और मुशाहिदे बताते हैं कि मंज़िलें तभी तक मुश्किल लगती हैं जब तक हम उन्हें शिद्दत से महसूस करते हैं। हक़ीक़त तो ये है कि इतिहास लिखने वाले अपने पैरों के छालों को भी नेमत-ए-उज़्मा समझते हैं।
मैं दुआ करता हूँ कि अल्लाह उन्हें हर उस मक़ाम तक पहुँचाए, जहाँ पहुँचने की ख्वाहिश शाइस्ता क़द्रों की पासदार नस्लों के सीने में करवट लेती है।"
रियाज़ शफ़ीक़ की इस सफलता पर शिक्षकों, रिश्तेदारों, साहित्यकारों और घर-परिवार के लोगों की ओर से बधाई संदेशों की बौछार हो रही है। हर तरफ खुशी की लहर है। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि सीतामढ़ी के शैक्षणिक माहौल को एक नई प्रेरणा मिली है।
रियाज़ शफ़ीक़ ने अपनी इस सफलता का श्रेय माता-पिता की दुआओं, शिक्षकों के मार्गदर्शन और अपनी लगातार मेहनत को दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वे भविष्य में उर्दू भाषा और साहित्य की सेवा को अपना मिशन बनाएँगे।
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