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मकर संक्रांति पर विशेष रिपोर्ट- जरूर पढ़ें - ज्योतिषाचार्य रूपेश चौबे उर्फ बमबम महाराज

 


( प्राइम न्यूज़ रिपोर्टर) मकर संक्रांति ?

शास्त्रों के अनुसार सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है और ब्रह्मांड की सभी गतिविधियों पर सूर्य का प्रभाव पड़ता है इसलिए सूर्य को विशेष महत्व दिया जाता है। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में स्थानांतरण करते है तो उसे संक्रांति कहा जाता है। इस तरह एक वर्ष में कुल 12 संक्रांति होती है जिसमें मकर संक्रांति को ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। हर वर्ष पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है तो सूर्य के उत्तरायण होने की खुशी में मकर संक्रांति को एक महापर्व के रूप में मनाया जाता है।


हिन्दू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का त्यौहार हर वर्ष परंपरागत रूप से 14 जनवरी को मनाया जाता है। हालांकि कई कारणों से तिथियों में उलटफेर के चलते इसमें कुछ परिवर्तन भी हुआ है। हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति के त्यौहार को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्यौहार को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कहीं खिचड़ी कहीं उत्तरायण तो कहीं इसे लोहड़ी या पोंगल के रूप में मनाया जाता है।


इस खास मौके पर सूर्य की उपासना के साथ-साथ जप, तप, श्राद्ध, तर्पण, और स्नान की मान्यता है। मगर खास बात यह है कि इस मौके पर दान का विशेष महत्व है। कहते हैं कि इस दिन गुड और तिल का दान सबसे उत्तम माना जाता है। साथ ही वस्त्र और कंबल दान भी अत्यंत पुण्यकारी होता है।

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