Ticker

7/recent/ticker-posts

TOP

मुस्‍लिम प्रतिरूप बनाने और गरबा में शामिल होने की मुसलमानी जिद ! सवाल यह है कि जिनका विश्‍वास ही हिन्‍दू संस्‍कृति, देव पूजा पर नहीं, जो मूर्ति पूजन को हराम मानते हैं, यहां तक कि उनके मजहब में नाच-गाने तक की मनाही है।


 मुस्‍लिम प्रतिरूप बनाने और गरबा में शामिल होने की मुसलमानी जिद ! सवाल यह है कि जिनका विश्‍वास ही हिन्‍दू संस्‍कृति, देव पूजा पर नहीं, जो मूर्ति पूजन को हराम मानते हैं, यहां तक कि उनके मजहब में नाच-गाने तक की मनाही है। 

भारत समेत पूरे विश्‍व में शक्‍ति आराधना का समय चल रहा है। हिन्‍दू अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार माँ की भक्‍ति में लीन हैं। इस बीच जो सोच नकारात्‍मक रूप से दिखाई दे रही है, वह बहुत परेशान करनेवाली है।  यह इसलिए भी परेशान कर रही है क्‍योंकि माँ दुर्गा को भी इस्लामीकरण की जद में लाने की जिद दिखाई दे रही है। इससे जुड़ी एक घटना मध्‍य प्रदेश के इंदौर से सामने आई, जहां दुर्गा मां की मूर्ति को ‘बुर्का’ पहनाने और माथे पर इस्‍लामी बेंदा लगाने की घटना सामने आई। दूसरी घटना देश भर से सामने आ रही है। कई मुसलमान युवा गरबा महोत्‍सव में भाग लेते हुए पाए गए। अभी भी दुर्गा पंडाल से अपनी दूरी नहीं बना पा रहे हैं, इसके लिए ये अपने आधार कार्ड से लेकर सभी पहचान पत्र जो वहां पंडाल में प्रवेश के पहले दिखाए जाने हैं, उनमें हिन्‍दू नाम डालकर जाली तरह से उन्‍हें तैयार करवा रहे हैं। अब सवाल यह है कि जिनका विश्‍वास ही हिन्‍दू संस्‍कृति, देव पूजा पर नहीं, जो मूर्ति पूजन को हराम मानते हैं, यहां तक कि उनके मजहब में नाच-गाने तक की मनाही है, आखिर वे इन गरबा महोत्‍सवों में जाने की जिद क्‍यों पकड़े हुए हैं? भारतीय संस्‍कृति में गरबा नृत्‍य मां भगवती को समर्प‍ित है। भारतीय तत्‍वज्ञान के दिशा-सूत्र देनेवाले शास्त्र नृत्य को साधना का एक मार्ग बताते हैं। गरबा का शाब्दिक अर्थ होता है गर्भ दीप, जोकि स्त्री के गर्भ की सृजन शक्ति का प्रतीक है और गरबा के माध्यम से उस शक्ति की आराधना हम सभी इस उत्‍सव के माध्‍यम से करते हैं। वस्‍तुत: यह शक्‍ति हर स्‍त्री-पुरुष में बराबर से विद्यमान है। गरबा के केंद्र में कच्ची मिट्टी के घड़े को रखा जाता है, जिसमें दीप प्रज्वलित है। इसको गरबो कहा गया है। इसके बाद माता का आह्वान किया जाता है और फिर नृत्य करने वाले गोले में नृत्य करते हैं। यहां गोल घेरे में किए जाने वाला गरबा जीवन के गोल चक्र का प्रतीक है। इसमें महिला, पुरुष, बच्चे सभी शामिल होते हैं। कोर्ट ने जबरन मजहबीकरण की निंदा करते हुए सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को झूठ, छल, लालच या बल प्रयोग से धर्मांतरण करने का अधिकार नहीं है। यदि ऐसा होता है, तो यह देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि यदि समय रहते इन मामलों पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो देश को भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ऐसे प्रकरण राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता के लिए भी अत्यधिक संवेदनशील हैं। यानी कि आज न्‍यायालय भी यह स्‍वीकार कर रहा है कि देश में योजनाबद्ध तरीके से गैर मुसलमानों को लवजिहाद के चंगुल में फंसाया जा रहा है, जोकि इस देश के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। यहीं से साफ समझ आ जाती है कि माँ दुर्गा का मुस्‍लिम प्रतिरूप बनाने और गरबा में शामिल होने की मुसलानी जिद आखिर क्‍या है। अब सोचना गैर मुस्‍लिम समाज को ही होगा कि आखिर कैसे अपने समाज की वे रक्षा कर सकते हैं, क्‍योंकि इस्‍लामिक आंधी हर तरफ सिर्फ मुसलमानों को देखना चाहती है, इसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखती है!

Post a Comment

0 Comments