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5 वर्ष बैठकर लोग रोते हैं कि पढ़ाई, रोजगार, खाने को नहीं है, लेकिन वोट देने जाएंगे तो सारी बातें भूल जाएंगे: प्रशांत किशोर

 *जन सुराज प्रेस नोट*


*दिनांक: 12 मार्च 2024*

*स्थान: सहरसा*

*जन सुराज पदयात्रा: 18वां महीना



*सहरसा*: जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि कोरोना में जो बच्चे पैदल चलकर घर आए, उनके परिवार के लोग इस चिंता में थे कि बच्चे घर आएंगे या नहीं? उसी परिवार के लोगों ने फिर जाति के नाम पर, मुर्गा-भात खाकर, 500 रुपए लेकर अपना वोट बेचा है? फिर वही लोग कहते हैं कि बहुत गरीबी है। ये ऐसे नहीं सुधरने वाला है। आप लोग प्रशांत किशोर को देखने के लिए आएं हैं, लोग बोलते हैं कि ये आदमी 18 महीनों से अपना घर छोड़कर बिहार में पैदल चल रहे हैं। आप अपनी दुर्दशा देखिए। यहां बैठे हुए लोगों में से कोई ऐसा परिवार नहीं है जिसका भतीजा, भाई, पति नौकरी करने के लिए, पढ़ाई करने के लिए अपना घर छोड़कर दूसरे राज्यों में न गए हो? हमने अपना घर 18 महीनों से छोड़ा है, लेकिन आपके परिवारवालों ने 5 साल, 10 साल से अपना घर छोड़ दिया है। सिर्फ पर्व-त्योहारों में ही उनका मुंह देखने को मिलता है। साल भर उनका चेहरा तक नहीं देख पाते हैं। 



बिहार के लोगों को सिर्फ दो चीजें चाहिए, बतियाने के लिए बात और खाने के लिए भात: प्रशांत किशोर.


प्रशांत किशोर ने कहा कि यहां लोगों से पूछिए कि आपने वोट क्यों दिया था? तो लोग बताते हैं कि पुलवामा हो गया था, पाकिस्तान को सबक सिखाना था इसलिए वोट दे दिए, गांव में बैठकर लालू-नीतीश का समीकरण समझाते हैं। लोगों को नेताओं का सीना दिख रहा है, लेकिन अपने बच्चों का सीना खाए बगैर सिकुड़ाया है, वो नहीं दिख रहा। ऐसे में आप नहीं भोगिएगा, तो कौन भोगेगा? 5 वर्ष बैठकर लोग रोते हैं कि पढ़ाई, रोजगार, खाने को खाना नहीं है, लेकिन वोट देने जाएंगे तो सारी बातें भूल जाएंगे। बिहार के लोगों को सिर्फ दो ही चीजें चाहिए। बतियाने के लिए बात और खाने के लिए भात।  


प्रशांत किशोर ने 10 किलोमीटर तक की पदयात्रा: जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को कुल 10 किलोमीटर तक पदयात्रा की। इस दौरान वे नौहट्टा ब्लॉक के चंद्रयान से पदयात्रा शुरू कर चंद्रयान चौक, ताराही चौक, मोहनपुर, राधा-कृष्ण मंदिर होते हुए मझौल, कुमरौली, शाहपुर, धांगा, नौहट्टा गोपीपुर क्रिकेट मैदान तक गए। यही रात्रि विश्राम भी किया।


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